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सोमवार, 28 मार्च 2011

लघु कथा -दोषी कौन

अस्पताल के बर्नवार्ड में बेड पर अस्सी प्रतिशत जली हुई सुलेखा का अंतिम बयाँ लिया जा रहा था .सुलेखा तड़पते हुए किसी प्रकार बोल रही थी -''मेरी इस दशा के लिए मेरे ससुराल वाले ज्यादा दोषी हैं.या मेरे मायके वाले ....मैं यह नहीं जानती पर जन्म के साथ ही मैं एक लड़की हूँ यह अहसास मुझे कराया जाता रहा .मेरी माँ मुझसे बचपन से ही सावधान करती रहती ''ठीक से काम कर ...कल को अपने घर जाएगी तो मुझे बदनाम करेगी क्या ?''पिताजी कहते ''ठीक चाल-चलन रख वर्ना कैसे ब्याह होगा ?''......विदाई के समय माँ ने कान में धीरे से कहा था -''अब बिटिया वही तेरा घर है ...भागवान औरत वही है जिसकी अर्थी उसके पति के घर से निकले .अब बिटिया हमारी लाज तेरे ही हाथ में है .मायके की लाज को संभाले मैं जब ससुराल पहुंची तो पहले दिन से ही ताने मिलने लगे -''क्या लाई है अपने घर से !एक से एक रिश्ते आ रहे थे हमारी अक्ल पर ही पत्थर पड़े थे जो इसे ब्याह लाये ...''हर त्यौहार पर भाई सिंधारा लाता ...पूछता अच्छी तो है जीजी ?मैं कह देती ''हाँ'' तो पलट कर यह न कहता ''कहाँ जीजी तू तो जल कर कोयला हो गयी है !सच कहूँ माँ -बाप -भाई के इस व्यवहार ने मुझे बहुत दुखी किया .कल जब मेरे पति ने मुझसे कहा की ....जा मेरे घर से निकल जा ...तब एक बार मेरे मन में आया कि क्या यह मेरा घर नहीं !...पर तभी ये विचार भी मेरे मन में आया कि जिस घर में मैं पैदा हुई ,चहकी,महकी ....जब वही घर मेरा नहीं तब ये घर कैसे हो सकता है ?मैं दौड़कर स्टोर रूम में गयी और मिटटी का तेल अपने पर उड़ेल लिया और आग लगा ली .अब आप लोग ही इंसाफ करते रहना कि मेरी इस दुर्दशा के लिए ससुराल वाले ज्यादा दोषी हैं या मायके वाले ....''.

2 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

bahut sahi bat kahi hai .sasural vale to bad me doshi hain pahle doshi to mayke vale hain jinse beti ka bhavnatmak rishta hota hai jab vahi beti se door bhagte hain to unhe kya dosh dena jo keval paise se jude hote hain.

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत मार्मिक लघुकथा ...इस तरह के हालातों में मायके वालों की ज्यादा गलती होती है जो हमेशा लडकी को यह अहसास कराते रहते हैं कि इस घर में उसका कुछ अधिकार नहीं है और उसे पराये घर जाना है..इस तरह की मानसिकता लडकी को मानसिक और भावनात्मक स्तर पर कमज़ोर कर देती है..बहुत सटीक चोट इस तरह की गलत सोच पर...बहुत सुन्दर