फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 31 मई 2013

आजकल के लड़केवाले -लघु कथा

Indian_bride : An Indian bride and the henna artwork on her hands
आजकल के लड़केवाले -लघु कथा 

सीमा ने पड़ोसन विमला को उसके मुख्य द्वार से निकलते देखा तो अपनी चौखट लाँघ कर उसके पास पहुँच गयी और उसके कंधें पर हाथ रखते हुए बोली -विमला ..विम्पी को जो कल देखने आये थे क्या कह गए ?''  विमला उदास स्वर में बोली -'' क्या बताऊँ सीमा ...आजकल  के  लड़के  वाले  बहुत  ईमानदार  हो गए हैं  .कल जिस  लड़के  के  माता  -पिता  विम्पी को देखने आये थे बैठते  ही  बोले विम्पी के पापा से -देखिये भाईसाहब आप बस इतना बता दीजिये कि कितने का बजट है आपका ? यानि कितना पैसा लगा पायेंगें शादी में .यदि हमें सूट करेगा तो ठीक है वरना हम आपको धोखे में नहीं रखना चाहते .शादी के बाद बहू को दहेज़ के लिए सताना हम नहीं चाहते' .... विम्पी के पापा ने जो बजट बताया वो उनकी हैसियत से काफी कम था इसलिए विम्पी को देखे बगैर ही वे हाथ जोड़कर विदा हो गए .'' सीमा कडवी हँसी हँसते हुए बोली -सच कहा विमला लड़के वाले कुछ ज्यादा ही ईमानदार हो गए हैं .''

शिखा कौशिक 'नूतन' 

मंगलवार, 28 मई 2013

जातिवाद का ढोंग -एक लघु कथा

जातिवाद का ढोंग -एक लघु कथा



''शटअप   ...अर्णव ...तुम ऐसा कैसे कर सकते हो .तुम जानते हो न हम ब्राह्मण हैं और ...विभा कास्ट  से   चमार  है बेटा ....समझा करो ..'' अर्णव असहमति में सिर हिलाता हुआ बोला   -''...पर डैडी .....आप जातिवाद के खिलाफ हैं ...माँ भी तो खटीक जाति से हैं ...आपने क्यूँ की थी माँ से शादी ?'' अर्णव के पिताजी अर्णव के कंधें पर हाथ रखते हुए बोले -'' बेटा वो और परिस्थिति  थी ....मैं गरीब परिवार का मामूली सा क्लर्क और तुम्हारी माँ डी.एम्. की एकलौती बेटी ...तब कहाँ जातिवाद आड़े आता है ....समझा करो !'' आँखों से ज्यादा बहस न करने की धमकी देते हुए अर्णव के पिताजी वहां से चल दिए और अर्णव सोचने लगा काश विभा भी किसी अमीर घर की एकलौती बेटी होती !!


शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 22 मई 2013

सट्टे पर सट्टा -एक लघु कथा

Australia

..सट्टा... वो भी क्रिकेट में ! बहुत शर्म की बात  है ....राम-राम-राम ....खेल की गरिमा ही दांव पर लगा दी भैय्या ....माफिया के वारे-न्यारे हो रहे हैं ...हद हो गई !'' मन्नू  नाक सिकोड़ते हुए बोला . तन्नू ने अख़बार एक ओर मोड़कर रखा और मन्नू से बोला -'' क्या मन्नू ...पुलिस जिस भी सट्टेबाज़ को पकड़ रही है ..कहती है -उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया ..पुख्ता सबूत हैं हमारे पास ..पर मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि साले  सब के सब छूट जायेंगें !''  मन्नू तेज आवाज में बोला -'' नहीं यार इस बार जेल में सड़ेगे   . देख लेना ' आइ.पी.एल.' भी बंद होकर रहेगा . ''तन्नू मन्नू की बात नकारते हुए बोला -''अबे तुझे कुछ नहीं पता इस खेल का .....सब छूट जायेंगें और आइ.पी.एल. में सट्टेबाजी भी चलती रहेगी ......लगाता है शर्त ?''  मन्नू भड़कते हुए बोला -'' क्या नहीं पता मुझे ?दस-दस हज़ार की लगी शर्त .'' तन्नू मन्नू की बात पर हँसता  हुआ बोला -''लगा दिया न तूने भी सट्टा !साले तेरे तक से कंट्रोल नहीं होता तो माफिया के गुर्गे क्या रुकेंगें आई.पी एल. में सट्टेबाजी से .''मन्नू तन्नू की बात पर मुस्कुराते हुए बोला -'' हाँ  यार तू ठीक कहता है .अच्छा मुझे घर जल्दी जाना हैं ...घरवाली की हालत ख़राब है .आज-कल में बच्चा होने को है उसे . देखो बेटा होता है या बेटी ?'' तन्नू मन्नू के कंधें पर हाथ रखते हुए बोला - ''लगाता है एक लाख का सट्टा ? बेटा ही होगा !'' इस बार दोनों ने ऐसा जोरदार ठहाका  लगाया कि पूरी गली गूँज उठी !

    शिखा कौशिक 'नूतन'

रविवार, 19 मई 2013

डॉगी और कुत्ते में के फरक होवे है- लघु कथा

डॉगी और कुत्ते में के फरक होवे है- लघु कथा 

Dogs Royalty Free Stock Photography - 15447547  

मिश्रा साहब के बंगले पर माली का काम करने वाला बुद्धू पौधों की सिचाई कर रहा था .आज उसके साथ उसका पांच वर्षीय बेटा दीपू भी आया था .दीपू बगीचे के फूल देखकर आनंदित हो रहा था तभी मिश्रा साहब का सात वर्षीय बेटा जॉनी अपने डॉगी  के पीछे दौड़ते दौड़ते हुए वहां आ पहुंचा .जॉनी के सुन्दर डॉगी को देखते ही दीपू चिल्लाया -''बापू देख कित्ता सुन्दर कुत्ता !!''जॉनी दीपू की बात सुनकर गुस्से में भरकर बोल -''शटअप ...ये कुत्ता नहीं ..ये डॉगी है स्टुपिड ...रास्कल ..!!''जॉनी को गुस्सा होते देख बुद्धू दीपू को डपटते हुए बोला -''माफ़ी मांग इनसे ...बाबू भैया माफ़ कर दो इसे ..अक्ल नहीं है इसमें .'' जॉनी ने एक घृणा भरी दृष्टि दीपू पर डाली और पुचकारते हुए अपने डॉगी को गोद में उठाकर वहां से चला गया .जॉनी के जाते ही दीपू ने मासूमियत के साथ बुद्धू से पूछा - '' बापू डॉगी और कुत्ते में के फरक होवे है ?'' बुद्धू   दीपू के सिर पर हल्की सी चपत लगाते हुए बोला -''छोरे जो बंगले में रहवे है वो डॉगी और जो सड़क पे रहवे है वो कुत्ता .समझा कछु ? दीपू समझते हुए बोला -''यानि बापू ..बाबू भैया डॉगी है और... मैं कुत्ता ....क्यूँ ठीक कहा बापू ? '' दीपू की बात सुनकर बुद्धू उदास होते हुए बोला -'' हां ! बेटा ठीक कहा .'' 

शिखा कौशिक 'नूतन' 

शुक्रवार, 17 मई 2013

कर्म -एक लघु कथा

कर्म -एक लघु कथा 

fire background

स्वामी जी के चरणों में सिर झुकाए पांडे दंपत्ति को स्वामी जी आशीर्वाद देते हुए बोले -''आनंद से रहो !'' आशीर्वाद सुन सुरेश और कविता दोनों के नेत्र भर आये .तीन माह पूर्व ही तो दोनों ने अपने इकलौते पुत्र अर्णव को एक सड़क हादसे में खो दिया था .स्वामी जी ने दोनों को आसन ग्रहण करने का इशारा किया .दोनों के आसन ग्रहण करते ही स्वामी जी गंभीर वाणी में बोले -'' सुरेश हम कर्म करते समय उसके परिणाम पर विचार नहीं करते .कभी-कभी हम ऐसा कर्म कर बैठते हैं कि हमें जन्म-जन्मान्तर तक उसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ता है .पूर्व जन्म में तुमने एक बार द्वेष वश अपने पडोसी के खेत में पकी फसल को आग लगा दी थी और तुम्हारे  इस कर्म में तुम्हारे पूर्व जन्म की भार्या कविता ने भी तुम्हारा पूर्ण सहयोग किया था .उसी दुष्कर्म का ये परिणाम हुआ कि तुम्हे जवान पुत्र की आकस्मिक मृत्यु का यह भीषण दुःख भोगना पड़ रहा है  .क्योंकि खेत में पकी -खड़ी फसल उस खेत के स्वामी के लिए जवान पुत्र की भांति आशाओं-मेहनत का सुफल होती है .इसलिए आज से तुम दोनों   निश्चय कर लो कि आज के बाद बहुत विचारकर ही कोई कर्म सम्पादित करोगे .....ॐ शांति ...ॐ शांति !!'' यह कहकर स्वामी जी द्वारा वाणी को विश्राम दिए जाने पर पांडे दंपत्ति उन्हें प्रणाम कर विदा लेकर सद्कर्म का ह्रदय में निश्चय कर आश्रम से अपने घर के लिए रवाना हो गए .

शिखा कौशिक 'नूतन '

सोमवार, 13 मई 2013

नेता जी का एक हज़ार का नोट

One Thousand Rupee Indian Note Stock Photography - Image: 5849772

सत्ताधारी पार्टी प्रमुख के सांसद पुत्र अपने कारों के काफिले के साथ अपने संसदीय क्षेत्र  के दौरे पर थे . एक गाँव से गुजरते हुए उन्होंने एक दस वर्षीय बालक को अख़बार बेचते हुए देखा .उन्होंने उसे पास आने का संकेत किया .बालक अख़बार की एक प्रति लेकर उनकी ओर तेज़ी से दौड़कर पहुँच गया .और उन्हें अख़बार की प्रति पकड़ा दी .अख़बार लेकर मुस्कुराते  हुए पार्टी प्रमुख के सांसद पुत्र ने अपनी जेब से एक हज़ार का नोट निकाल कर उसकी ओर बढ़ा दिया .इस पर वह बालक मुस्कुराते हुए बोला-''नेता जी ..ठीक है आपके शासन में महगाई ने  गरीब आदमी की कमर तोड़ दी है .हमारा पूरा परिवार दिन भर मेहनत करके भी दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पाता .माँ-बापू रोज़ जहर खाकर मरने के बारे में सोचते हैं .मैं कड़ी धूप ,बारिश , कातिल ठंड में नंगे बदन व् नंगे पैर दिन भर मेहनत करता हूँ पर फिर भी आपकी जानकारी के लिए बता दूं  कि भारत में अभी अख़बार की एक प्रति की कीमत एक हज़ार रूपये नहीं है .'' यह कहकर वो नोट बिना लिए ही तेज़ी से अपने गंतव्य  की ओर दौड़ पड़ा और सत्ताधारी पार्टी प्रमुख के सांसद पुत्र ने एक हज़ार के नोट को मुट्ठी  में भींच लिया !

   शिखा कौशिक 'नूतन '

रविवार, 12 मई 2013

'मदर्स डे'' का सच्चा उपहार

'मदर्स डे'' का सच्चा  उपहार


घर घर बर्तन माँजकर  विधवा सुदेश अपनी एकलौती संतान लक्ष्मी का किसी प्रकार पालन पोषण कर रही थी  .लक्ष्मी पंद्रह साल की हो चली थी और  सरकारी  स्कूल  में  कक्षा  दस  की छात्रा थी .आज  लक्ष्मी का मन बहुत उदास  था .उसकी  कक्षा  की  कई  सहपाठिनों  ने उसे बताया था कि उन्होंने अपनी माँ के लिए आज मदर्स डे पर सुन्दर उपहार ख़रीदे हैं पर लक्ष्मी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो माँ के लिए कोई उपहार लाती  .स्कूल से आकर लक्ष्मी ने देखा माँ काम पर नहीं गई है और कमरे में  एक खाट  पर बेसुध लेटी हुई है .लक्ष्मी ने माँ के माथे पर हथेली रख कर देखा तो वो तेज ज्वर से तप रही थी .लक्ष्मी दौड़कर डॉक्टर साहब को बुला लाई और उनके द्वारा बताई गई दवाई लाकर  माँ को दे दी .माँ जहाँ जहाँ काम करती है आज लक्ष्मी स्वयं वहां काम करने चली गयी .लौटकर देखा तो माँ की हालत में काफी सुधार हो चुका था .लक्ष्मी ने माँ का आलिंगन करते हुए कहा -''माँ आज मदर्स डे है पर मैं आपके लिए कोई उपहार नहीं ला पाई ...मुझे माफ़ कर दो !''सुदेश ने लक्ष्मी का माथा चूमते हुए कहा -''रानी बिटिया कोई माँ उपहार की अभिलाषा में संतान का पालन-पोषण नहीं करती ...तुम्हारे मन में मेरे प्रति जो स्नेह है वो तुमने मेरी सेवा कर प्रकट कर दिया है .आज तुमने मुझे ये अहसास करा दिया है कि मैं एक सफल माँ हूँ .मैंने जो स्नेह के बीज रोपे वे आज पौध बन कर तुम्हारे ह्रदय में पनप रहे हैं .तुमने ''मदर्स डे'' का सच्चा  उपहार दिया है !!''

शिखा कौशिक 'नूतन '

गुरुवार, 9 मई 2013

शहीद के परिवार का सन्देश -एक लघु कथा

 

'बाबू जी .....बाबू जी ...' श्रीपाल बाबू के पड़ोस में रहने वाला  युवक विक्रम उनके घर के द्वार पर खड़ा होकर उन्हें आवाज लगा रहा था .कल ही तो होकर चुकी है उनके शहीद हुए बेटे विजय की तेरहवीं  ..एकलौता पुत्र था श्रीपाल बाबू का विजय .पत्नी के दो वर्ष पूर्व हुए निधन के बाद यह बहुत बड़ा हादसा था श्रीपाल बाबू के जीवन में . विजय अपने  पीछे  श्रीपाल बाबू के अलावा पत्नी शुचि व् डेढ़ साल के बेटे विभु को छोड़ गया था .विक्रम की आवाज़ पर श्रीपाल बाबू आँगन में आये तो विक्रम पास आकर बोला -'बाबू जी .....थानाध्यक्ष बाबू मेरी बैठक में बैठे हैं आप से मिलना चाहते हैं . ''बुला ला बेटा यहीं '' श्रीपाल बाबू उदासीन भाव से बोले . थोड़ी देर में थानाध्यक्ष को विक्रम श्रीपाल बाबू की बैठक में ले आया .थानाध्यक्ष  ने औपचारिक बातचीत के बाद अपने आने का मंतव्य व्यक्त किया . वे बोले -''बाबूजी !मुख्यमंत्री कार्यालय से ऊपर फोन आया था .मुख्यमंत्री जी यहाँ आकर अपनी शोक-संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं .श्रीपाल बाबू के होठों पर व्यंग्यपूर्ण मुस्कान आई और दिल में कड़वाहट भर आई .उन्होनों अपनी बहू शुचि को आवाज़ लगाई .शुचि के वहाँ आते ही श्रीपाल बाबू ने उससे पूछा -''शुचि विजय के शहीद हो जाने से क्या तुम दुखी  हो ?'' शुचि दृढ़ता के साथ बोली -''..नहीं बाबू जी . यदि मैं ही दुखी रहूंगी तो भविष्य में मेरा बेटा कैसे सेना में भर्ती होने के काबिल बन सकेगा ? एक शहीद की पत्नी व् एक भावी सैनिक की माता होने के गर्व से मैं उत्साहित हूँ !'' शुचि का जवाब सुनकर श्रीपाल बाबू थानाध्यक्ष से बोले -'' श्रीमान जी आप अपने ऑफिसर्स को यह सूचित कर दें कि वे मुख्यमंत्री   तक हमारा ये सन्देश पहुंचा दें -'हमारा बेटा अपने कर्तव्य का निर्वाह करता हुआ शहीद हुआ है ..अब आप अपने पद के अनुरूप कर्तव्य का निर्वाह करें ..यही शहीदों को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी .''यह सुनकर थानाध्यक्ष शहीद के परिवार के प्रति नतमस्तक हो गए और उनसे विदा ले अपने कर्तव्य के निर्वाह हेतु वहाँ से चल दिए !

डॉ.शिखा कौशिक 'नूतन '