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रविवार, 15 सितंबर 2013

पहनावा-लघु कथा

तन्वी को सब्जी मंडी जाना था .तन्वी ने जूट का बैग लिया और सड़क के किनारे-किनारे  सब्जी मंडी की ओर चल दी. तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़  दी -''कहाँ जायेंगी  माता जी  ?''  तन्वी ने 'नहीं  भैय्या ''  कहा  तो ऑटो वाला आगे निकल गया .   अगले दिन तन्वी अपनी बिटिया मानवी को स्कूल बस में बैठाकर घर लौट रही थी तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी -''बहन जी मोहपुरी ही जाना है क्या ?'' तन्वी ने मना कर दिया .पास से गुजरते उस ऑटोवाले को देखकर तन्वी पहचान गयी कि ये कल वाला ही ऑटोवाला था . आज तन्वी को अपनी सहेली के घर जाना था .वह सड़क किनारे खड़ी होकर ऑटो का इंतजार करने लगी .तभी एक ऑटो आकर रुकी -'' कहाँ चलेंगी मैडम ?'' तन्वी ने देखा ये वो ही ऑटोवाला है जो कई बार इधर से गुजरते हुए उससे पूछता रहता है चलने के लिए .तन्वी बोली -'' मधुबन कॉलोनी हैं ना सिविल लाइन्स में वाही जाना है .चलोगे ?'' ऑटोवाला मुस्कुराते हुए बोला-'' चलेंगें क्यों नहीं मैडम ...आ जाइये .'' ऑटो वाले के ये कहते ही तन्वी ऑटो में बैठ गयी .  ऑटो स्टार्ट होते ही तन्वी   अपनी जिज्ञासावश उस ऑटोवाले से पूछ ही बैठी -'' भैय्या एक बात बतायेंगें ? दो-तीन दिन पहले आप मुझे माता जी कहकर चलने के लिए पूछ रहे थे ,कल बहन जी और आज मैडम ! ऐसा क्यूँ ?'' ऑटोवाला हँसते हुए बोला -'' सच बताऊँ ....आप जो भी समझे पर किसी का भी पहनावा हमारी सोच पर असर डालता है ..आप दो-तीन दिन पहले साड़ी में थी तो एकाएक मन में भाव जगे आदर के क्योंकि मेरी माँ हमेशा साड़ी ही पहनती है इसीलिए मुंह से खुद ही ''माता जी '' निकल गया .कल आप सलवार -कुर्ते में थी जो मेरी बहन भी पहनती है इसीलिए आपके प्रति स्नेह का भाव जगा और मैंने ''बहन जी '' कहकर आपको आवाज़ दे दी .आज आप जींस-टॉप में हैं जो कम से कम माँ-बहन का भाव नहीं जागते इसीलिए मैंने आपको 'मैडम' कहकर बुलाया .आप मेरी बात समझ रही हैं ना ? ...लीजिये ये आ गया मधुबन !'' ऑटो रुकते ही तन्वी ऑटो से उतरी और किराया चुकाते हुए बोली -'' हाँ !भैय्या आपकी बात समझ में आ गयी पर आदमियों के पहनावे पर भी कोई भाव जगता है या नहीं ?'' ऑटोवाला मस्ती में बोला -''  हाँ हाँ क्यों नहीं !! धोती-कुर्ता पहनने वाला '' ताऊ '' और पेंट -कमीज़ वाला '' बाऊ जी  '' . ऑटो वाले की इस बात पर तन्वी ठहाका लगाकर हंस पड़ी और अपनी सहेली के घर की ओर बढ़ ली .
शिखा कौशिक 'नूतन'

3 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

ये बात सही है, पहनावा ही हमारी सोच पर असर डालता है ..
सुंदर सृजन !
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Ranjana verma ने कहा…

वाह क्या मजेदार बात बताई ऑटो वाले ने
बहुत खुबसूरत कहानी.....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच कहा आपने ... सोच के देखा तो सच में पहनावा भाव जगाता है ... अच्छी कहानी ... सन्देश लिए ...